Friday, May 23, 2014

वक़्त













जब वक़्त का अंजाम आया 
जब एक नया वक़्त आया 
जब ये डर मेरे दिल पे छाया
जब जब मुझे घर से बाहर लाया  

हर वक़्त ने मुझे ये समझाया 
हर वक़्त में छत और कोना है 
हर वक़्त में हसना और रोना है 
तो वक़्त को लेकर क्यों रोता है 
जब वक़्त निकट आएगा 
हर वक़्त नजर आएगा 
तब वो तुझे समझायेगा 
हर वक़्त में खुल कर जीना है 

इतना लिख कर ये समझ आया 
की माना बहुत कुछ लिखा है 
फिर भी सब कुछ लिखना है 
हमारा काम तो है लिखना 

मगर ओ लिखने वाले 
इतना लिख कर ये समझ आया 
की सब कुछ तो लिखा है 

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